Thursday, November 27, 2008

वात्सल्य

एक बार एक अध्यापक ने बच्चों को गाय पर निबंध लिखकर लाने के लिए कहा सभी बच्चे कुछ न कुछ लिख कर लाये परन्तु एक बच्चे ने अपनी नोट बुक में केवल यह लिखा कि - ''गे हमारी माता है आगे कुछ नहीं आता है'' इस पंक्ति को पढ़ कर मन में विचार आया कि गाय को माता क्यों कहते है , भैंस को क्यों नहीं /
मन में एक विचार आया कि शायद गाय का बच्चा ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो सवर्प्रथम हमें अम्मां कहना सिखाता है /
दूसरा विचार आया कि गाय का बच्चा भगवान 'रिषभदेव' और 'महादेव' का प्रतिक चिन्ह है जबकि भैंस का बच्चा 'यमराज' का प्रतिक चिन्ह है /
तीसरा विचार आया कि जो वात्सल्य गाय अपने बच्चों के प्रति रखती है ऐसा अन्य नहीं रख पाते /
वात्सल्याय का एक किस्सा बताता हूँ - एक बार स्वर्ग के एक देव ने कामधेनु कि परीक्षा लेनी चाही , उन्होंने स्वयं सिंह का रूप धारण कर कामधेनु से कहा कि मैं तुझे खाना चाहता हूँ गाय ने कहा कि - महाराज ! मेरा पुत्र सुबह से भूखा है कृपा करके पहले मुझें उसे अपना दूध पिलाने कि इजाजत दो उसके बाद आप मुझें खुशी से खा लेना / यदि आपने मुझे पहले ही खा लिया तो मेरा बच्चा भूख से मर जावेंगा /
देव गाय का वात्सल्य देखकर बहुत खुश हुवे वे अपने वास्तविक रूप में आकर बोले कि - तुमने ओने प्राणों से ज्यादा अपने पुत्र कि भूख कि चिंता कि है अतः मैं तुम्हें छोड़ता हूँ / आज से तुम इस सार्ष्टि में ''गाय माता'' के नाम से पूजी जावोगी /
इसलिए गाय माता कहलाती है //

4 comments:

Dr. Chandra Kumar Jain said...

संजय जी,
आरम्भ अच्छा है...विषय भी श्रेष्ठ हैं.
एक सुझाव भी...कि शब्दों को शुद्ध
टंकित करने का प्रयास कीजिए,
इससे
अभिव्यक्ति का प्रभाव बढ़ेगा....ठीक है न ?
=================================
शुभ भावनाओं सहित
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

!!अक्षय-मन!! said...

bahut sundar bahut hi aache se pesh kiya gaua hai gau mata ka roop.....
ye baat har nagrik tak pahuichni chahiye....
gau hatya par rok lahni chahiye.....
aapka ye lekh unhe batayega ki ek alag hi sthan hai gauu mata ka........bahut badiya...


मैंने मरने के लिए

रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है

????
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑


उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान

और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा

के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना

मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते

हैं
अक्षय-मन

Sajal Ehsaas said...

achhe udaaharan diye aapne...

vyang mein meri pehli koshish ko yahaa padhe..aur apne sujhaav de:

http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_26.html

Anonymous said...

aaj hi dekha achchha blog hai aapka,jankariyo se Bhara huaa.

--------------------------"VISHAL"