Thursday, November 20, 2008

ये जीवन है दो पल का , ढिकाना है नहीं कल का



नरतन रतन है अनमोल



जीवन है पानी की बूंद कब मिट जावे रे



होनी अनहोनी कब क्या घाट जावे रे



नही ढिकाना



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